आप परिवार से भारतीय को निकाल सकते हैं, लेकिन एक भारतीय के मन से आप परिवार को बाहर नहीं निकाल सकते। परिवार प्रकृति की उत्कृष्ट कृति है। परिवार एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो अधिकांश भारतीयों के जीवन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
जैसा कि जीवन, हम सभी पर दबाव डालता है, परिवार में रहने के लाभ पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। कई कारकों के माध्यम से एक परिवार को मजबूत बनाया जाता है।
प्रेम
सबसे महत्वपूर्ण एक निश्चित रूप से प्यार है। परिवार प्यार के महत्व को सिखाता है जिसे आप अपने दिल में हमेशा के लिए रहता हैं।
निष्ठा
दूसरा , वफादारी एक परिवार को मजबूत करती है। जब आपका परिवार होता है, तो आप उनके प्रति समर्पित होते हैं; आप एक कठिन समय में परिवार के साथ जुड़े रहते है और खुशिया एक साथ मनाते हैं। एक परिवार हमेशा तीसरे पक्ष के सामने एक दूसरे के साथ खड़ा होता है और समर्थन करता है।
मूल्यों को जानें
सबसे महत्वपूर्ण बात, यह चीज उनके परिवार से सीखते है, वह उन्हें और करीब लाती है। हमारा परिवार हमारा पहला स्कूल है। यह हमें एक-दूसरे के साथ होने का कारण देता है क्योंकि वे समान मूल्यों को साझा करते हैं।
परिवार के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दिया जा सकता है। वे हमारे जीवन में एक महान भूमिका निभाते हैं और हमें बेहतर इंसान बनाते हैं।
रिश्तों में अपनेपन की भावना की खातिर ही व्यक्ति एक-दूसरे पर मर-मिटने तक को तैयार हो जाते हैं। एक मां के अंदर प्रांरभ से ही अपने बच्चे के प्रति बेहद अपनेपन की भावना कायम हो जाती है।
रिश्तों में अपनेपन की भावना की खातिर ही व्यक्ति एक-दूसरे पर मर-मिटने तक को तैयार हो जाते हैं। एक मां के अंदर प्रांरभ से ही अपने बच्चे के प्रति बेहद अपनेपन की भावना कायम हो जाती है। उसे अपना बच्चा सारी दुनिया से प्रिय व सुंदर लगता है। मनोवैज्ञानिक पीटर एम. नार्डी भी यह मानते हैं कि अकेले व्यक्ति को भौतिक, भावनात्मक, मानसिक व आर्थिक सहयोग नहीं मिल पाता। करीबी रिश्तेदारों से व्यक्ति अक्सर अपने मन की वे सभी बातें करते हैं जिन्हें वे अन्य व्यक्तियों से नहीं कर सकते। रिश्तेदार व परिवार व्यक्ति के बुरे समय में साथ खड़े होते हैं। ऐसे में एक अकेले व्यक्ति की पीड़ा पूरे परिवार व रिश्तेदारों की पीड़ा बन जाती है। वे एकजुट होकर मुसीबत से लड़ते हैं और मुसीबत को दूर भगा कर कामयाबी पाते हैं। कैलिफोर्निया के एक प्रांत में हुए एक शोध के अनुसार जिन लोगों का पारिवारिक या सामाजिक जुड़ाव कम होता है उनमें दिल की बीमारियों और रक्त संचरण की समस्याओं के खतरे बढ़ जाते हैं। वहीं जिन लोगों के दोस्त और पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं वे जल्दी-जल्दी बीमार नहीं होते। उनका स्वास्थ्य अच्छा होता है और आयु भी लंबी होती है। दोस्त, रिश्तेदार और परिवार दवा भी बन जाए, इसके लिए व्यक्ति को प्रेम, दुआ, विनम्रता और मदद का मार्ग पकड़ लेना चाहिए। इससे ये बंधन मजबूत होकर जीवन को सशक्त, रोगहीन और सफल बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मनुष्य जीवन रिश्तों से जुड़ा हुआ है। रिश्तों के कारण ही मनुष्य जीवन में आगे बढ़ने की, सफलता पाने की, शिक्षित होने की, कार्य करने की इच्छा रखता है। यदि रिश्ते मधुर हों तो जीवन सुखमय व खुशहाल बन जाता है, किंतु रिश्तों में खटास आते ही व्यक्ति भी टूट जाता है। रिश्ता आखिर बिगड़ता क्यों है? इसके पीछे व्यक्ति का अहं, सोच व उसका व्यवहार ही जिम्मेदार होता है। मशहूर स्पीच थेरेपिस्ट बिल वाल्टन का मानना है कि रिश्तों को बिगाड़ने में 50 फीसद से ज्यादा कारण असंयमित भाषा होती है। अध्यात्म और शांति के साथ कार्य करने वाले व्यक्तियों के रिश्ते बेहद सफल होते हैं। रिश्ते निभाना भी समझौतों का ही दूसरा नाम है। रिश्ते केवल खून के ही नहीं होते, भावनात्मक भी होते हैं। कई बार भावनात्मक रिश्ते अटूट बन जाते हैं, क्योंकि उनमें प्रेम, सामंजस्य, धैर्य, ईमानदारी का साथ होता है।
रिश्ते—जीवन की आधारशिला
‘ जुबां में शराफत की पहचान रखना, ना टूटे कोई दिल जरा ध्यान रखना, मुश्किल से मिलते हैं रिश्ते जमीं पर, रिश्तों का नजरों में सम्मान रखना।’
प्राय: हमारे बुजुर्ग हमें बताते रहते हैं कि सामाजिक समरसता के लिये रिश्तों का दृढ़ता से निर्वाह करना आवश्यक है। सुख हो या दु:ख दोनों ही परिस्थितियों में रिश्तों का प्रभाव देखा जाता है। कहते हैं कि सुख यदि रिश्तेदारों के साथ मिलकर बांट लिया जाता है तो उसका आनंद दोगुना हो जाता है और दु:ख के समय रिश्तेदारों का साथ हो तो दु:ख आधा रह जाता है। ये रिश्ते रक्त संबंध के तो होते ही हैं, रिश्तों की प्रगाढ़ता पड़ौसियों में भी बन जाती है, रिश्तों का दायरा जब सामाजिक स्तर पर बढ़ता है तो व्यापक हो जाता है। हम सभी जानते हैं कि जब कभी हम रेल, बस में सफर करते हैं तो आपसी वार्तालाप करते—करते अपने प्रेम भरे व्यवहार की नींव आपकी मधुर वाणी, शालीन व्यवहार एवं आपके दृष्टिकोण की पृष्ठभूमि से तैयार होती है। आज से ५० वर्ष पूर्व के सामाजिक वातावरण में जो अपनत्व की गरिमा दिखाई देती थी, उस गरिमा की उष्मा का वर्तमान में अभाव सा है।जीवन में हो रही भागदौड़ से रिश्तों में काभी बदलाव आये हैं। सामाजिकता की रूढ़ पद्धतियां अब आकार बदल रही हैं। बदलाव के इस भागमभाग भरे दौर में जातिबंधन शिथिल होते जा रहे हैं। सामाजिक परम्पराओं को अब रूढ़िवादिता मानकर नजरअंदाज किया जाने लगा है। संयुक्त परिवार की ‘हम’ की भावना अब एकल परिवार में ‘मैं’ में बदल चुकी है। जहां पहले परिवार में ५—६ बच्चे हुआ करते थे, समय की पुकार एक या दो बस होने लगे और अब तो दम्पत्ति या तो संतान चाहते ही नहीं अथवा एक ही संतान का सूत्र अपनाने लगे हैं। अब लगता है कि रिश्तों की डोर शनै:शनै: कटती जा रही है और एक समय ऐसा आयेगा कि भाई—बहन, चाचा—मामा, मौसी—बुवा जैसे संबंध देखने और सुनने में भी नहीं आयेंगे।
भौतिकता की दौड़ में भागते हुए, गलाकाट महंगाई के इस युग में शिक्षा के वर्तमान स्वरूप ने लोगों की मानसिकता एवं मान्यताओं को बदला है और जो परिवर्तन समाज में आ रहा है उसने रिश्तों की अहमियत पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। आज से २५ वर्ष पूर्व पर दृष्टिपात करें तो हम पाते हैं कि तब अपना गांव या शहर छोड़कर बड़े शहरों या विदेशों में जाकर पढ़ने वालों या नौकरी करने वालों की संख्या अति अल्प थी, उनमें भी लड़कियों को तो बाहर जाने का चांस बहुत कम ही मिला करते थे।
समय बदला है और अब १२ वीं क्लास की पढ़ाई खत्म होते ही बच्चों का डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, एम.बी.ए., सी.ए., अथवा अन्य किसी भी उच्च शिक्षा के लिये शहर से बाहर जाना सामान्य अथवा यों कहें कि गर्व की बात हो गई है। देश के कई बड़े शहर पूना, बाँम्बे, हैदराबाद, दिल्ली, मद्रास, कोटा आदि एजुकेशन हब्स के रूप में प्रसिद्ध हो चुके हैं और बड़ी संख्या में लड़के—लड़कियां अपने शहर को छोड़कर अन्य शहरों में जाने लगे हैं। उनका आना—जाना, मिलना—जुलना, पढ़ना, नौकरी करना संबंधों की नई कहानियां लिख रहा है। ‘लिव इन रिले्नानशिप’ की बढ़ती चाहत ने वैवाहिक प्रक्रिया का स्वरूप बदल दिया है।
युवावस्था ने घर से बाहर निकलकर अचानक मिली स्वतंत्रता को स्वच्छंदता में बदला और कल के परिवारिक सामाजिक प्रतिबंधों की डोर टूटते ही युवाओं की भटकन के किस्से आम हो जा रहे हैं।युवावस्था में टी.वी. और फिल्मों की महक में वयस्क बच्चे बहक जाते हैं और असंयमित आकर्षण के दुष्परिणाम से अनजान ये बालक उचित अनुचित में भेद नहीं कर पा रहे हैं। परिणामत: शादी से पूर्व संबंधों में वृद्धि हुई है। विवाह संबंध के लिये अब माता—पिता या परिवारजनों की राय कोई मायने नहीं रखती बल्कि बच्चे स्वयं अपना संबंध तय करने लगे हैं। स्टेट्स, योग्यता, नौकरी की समरूपता विवाह का पैमाना बन गई है और जातिगत पारिवारिक, सामाजिक संबंधों पर पैकेज का आकर्षण हावी होता जा रहा है। समान योग्यता, समान नौकरी के चलते तत्कालिक आकर्षण से निर्मित वैवाहिक संबंधों के विच्छेद की घटनाएं बढ़ने लगी हैं, ‘अहं’ भाव से ग्रसित युवा दम्पत्ति का जीवन ‘प्रेम—रस’ से रहित होजा जा रहा है। समर्पण, सामंजस्य, सहिष्णुता से शून्य दाम्पत्य जीवन सजा सा होता जा रहा है अत: कभी—कभी इसकी परिणति हत्या— आत्महत्या तक में देखी जाने लगी है।
आज जब हम इन परिस्थितियों पर विचार करते हैं तो हमें बच्चों के स्वयं का,माता—पिता का,परिवार का, जाति का तथा समाज का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। भौतिक रूप से होने वाली समृद्धि समाज को समृद्ध नहीं बना सकती।
उच्च शिक्षा से शिक्षित पीढ़ी, रिश्तों पर आधारित पारिवारिक गौरव की महत्ता से अनभिज्ञ है। नैतिक संस्कारों के बीजारोपण के केन्द्र आपसी रिश्तों से रिक्त होते जा रहे हैं अब तो माता—पिता के घर में संतान मेहमान हैं तो बेटे—बहू के घर में माता—पिता अतिथि। दु:ख—दर्द को बांटने का जज्बा शनै: शनै: औपचारिकता में बदल गया है। प्रदर्शन और प्रतिष्ठा के चक्कर में समयानुकूल व्यवहार से व्यक्ति अनजान सा होता जा रहा है और किस क्षण में, किस तरह की वेशभूषा हो ? किस समय हमारा आचरण कैसा हो ? इसका विचार व्यक्ति कर नहीं पा रहा है। परिवारिक संबंधों का घटता दायरा और दोस्तों तथा गैर पारिवारिक संबंधों के बढ़ते प्रभाव ने रिश्तेदारों को पीछे धकेल दिया है जबकि सत्यता यह है कि चाहे व्यक्तिगत जीवन की खुशियां हो या पारिवारिक जीवन के उत्तरदायित्व, जातिगत नियम की अनुशंसा हो या सामाजिक जीवन के सह—संबंध सभी आपसी निश्छल प्यार की डोर से बंधे रहें तो आदर्श सथापित करते हैं। फिर वह रिश्ता मां—बेटे का हो या सास—बहु का, ननंद—भौजाई का हो या देवर—भाभी का, जीजा—शाली का हो या बुआ—भतीजे का , बहन—भाई का हो या पति—पत्नी का, गुरू—शिष्य का हो या पड़ोसी—पडोसी का प्रत्येक रिश्ता सामाजिक जीवन की आधारशिला है।
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपने बालकों को उच्च शिक्षित करने से पहले संस्कारों का पाठ पढ़ायें, जीवन–विकास की धरती में नैतिकता का बीजारोपण करें, वर्तमान माहौल में दृढता से खड़े होने, मुसीबतों से मुकाबला करने, परिस्थितियों पर विजय पाने के लिये हिम्मत का पाठ पढाये और अध्यात्म के महत्व को प्रतिपादित करें। रिश्तों को जीवंत बनाने के लिये हमें अपने बालकों को प्रारंभ से सिखाना होगा—
‘जिंदगी में सदा मुस्कुराते रहो’
फासले कम करो , दिल मिलाते रहो।’
इस लेख में
स्वस्थ पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने का महत्व
एक मजबूत परिवार के लक्षण
कैसे बनाएं स्वस्थ और मजबूत परिवार के रिश्ते
स्वस्थ पारिवारिक रिश्ते सभी परिवार के सदस्यों में प्यार और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। यह एक सबसे बड़ा वरदान हो सकता है जो माता-पिता अपने बच्चों को दे सकते हैं - एक पोषण और देखभाल करने वाला वातावरण जो उन्हें अच्छी तरह से संतुलित, खुश और सफल वयस्कों में बढ़ने में मदद करता है। जैसे-जैसे जीवन पूर्ण रूप से बदल जाता है, बच्चों को अक्सर अपने बूढ़े माता-पिता की देखभाल करके उपहार चुकाने का मौका मिलता है। एक मजबूत और सहायक परिवार इकाई के निर्माण में संचार, गुणवत्ता समय, प्रशंसा, एक-दूसरे के साथ व्यवहार करना और टीम वर्क कुछ आवश्यक चीजें हैं।
स्वस्थ पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने का महत्व
परिवार के साथ अच्छे संबंध का महत्व अद्वितीय है। एक गर्म और देखभाल करने वाले परिवार का हिस्सा होना अपने आप में एक शानदार एहसास है। निम्नलिखित कारणों से मजबूत और गहरा पारिवारिक संबंध बनाना आवश्यक है:
यह बच्चों को प्यार और सुरक्षित महसूस करने में मदद कर सकता है जो उनके ध्वनि भावनात्मक और बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक है।
यह बच्चों के व्यवहार, और उनके सीखने, खाने और सोने से संबंधित मनोवैज्ञानिक मुद्दों के समाधान में योगदान कर सकता है।
यह किसी भी संभावित पारिवारिक समस्याओं को दूर करने और सौहार्दपूर्ण तरीके से सामना करने में मदद कर सकता है।
यह व्यक्तिगत सोच और व्यक्तिगत आत्म-मूल्य को बढ़ाते हुए परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के मतभेदों का सम्मान करना सिखा सकता है।
यह बच्चों में सामाजिक कौशल को बढ़ावा दे सकता है जो उन्हें अपने स्वयं के स्वस्थ संबंध बनाने में मदद कर सकता है।
माता-पिता अपने बच्चों के लिए उपयुक्त आदर्श बन सकते हैं और एक मजबूत मूल्य प्रणाली की नींव रख सकते हैं।
यह बच्चों को सही और गलत के अपने ज्ञान को स्थापित करके एक उच्च नैतिक चरित्र विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
एक देखभाल परिवार की संरचना बच्चों को उनके कर्तव्यों और दायित्वों को पूरा करने और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का मूल्य सिखाकर जिम्मेदारी की भावना को बढ़ा सकती है।
स्वस्थ पारिवारिक संबंध भावनात्मक अंतरंगता को तेज करने में मदद कर सकते हैं जो बदले में बच्चों में सहानुभूति और करुणा की भावनाओं को बढ़ावा दे सकते हैं।
एक मजबूत परिवार के लक्षण
एकता या सामंजस्य की कमी किसी भी परिवार को तोड़ सकती है। एक मजबूत परिवार सभी प्रतिकूलताओं का सामना कर सकता है। एक मजबूत परिवार की कुछ विशेषताएं हैं:
1. संचार
किसी भी स्वस्थ रिश्ते के लिए अच्छा संचार महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे संघर्षों को हल करना और मजबूत संबंध बनाना आसान हो जाता है। परिवारों को ईमानदारी के साथ और खुलेपन के साथ संवाद करना चाहिए। उन्हें एक दूसरे को समझने के उद्देश्य से सुनना चाहिए, जो सहानुभूति को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
2. टोगेथर्नेस
समान विश्वासों और मूल्यों वाले सांचों को साझा करने वाले परिवार एक महान बंधन विकसित करते हैं क्योंकि यह अंतरंगता और अपनेपन की भावना पैदा करने में सहायता करता है। यह सुरक्षा और निकटता का वातावरण उत्पन्न कर सकता है जो कठिनाइयों के समय में ताकत का स्रोत बन सकता है। यह एक विश्वसनीय समर्थन प्रणाली की स्थापना में भी मदद कर सकता है जहां परिवार के सदस्य वास्तव में एक दूसरे के लिए समर्पित हैं।
3. स्नेह
स्थिर परिवार गले लगाने, चुंबन, शब्द और विचारशीलता के कृत्यों के माध्यम से देखभाल और स्नेह दिखाने से नहीं कतराते हैं। किसी व्यक्ति की राय या विचार का सम्मान किया जाता है और उसे महत्व दिया जाता है जो रिश्तों को फलने-फूलने और विकसित होने में मदद कर सकता है। एक दूसरे के लिए प्रशंसा और प्रशंसा जैसी सकारात्मक भावनाओं को साझा करना अविभाज्यता के बंधन को स्थापित करने में सहायता कर सकता है।
4. गतिविधियों को साझा करना
करीबी परिवार नियमित रूप से जीवन के अनुभव साझा करते हैं जो परिवार के सदस्यों को करीब लाने में मदद करते हैं। यह एक साथ समय बिताने की प्रतिबद्धता को सुविधाजनक बना सकता है, उन गतिविधियों में संलग्न हो सकता है जो परिवार को खेल, पढ़ने, खेल और शिविर की तरह करना पसंद करते हैं।
5. कमिटमेंट
करीब-करीब परिवार आदर्श का पालन करते हैं, 'परिवार हमेशा पहले नंबर पर आता है।' परीक्षणों या कठिनाइयों की कोई भी राशि एक दूसरे पर अटूट विश्वास को हिला नहीं सकती है। एक-दूसरे के प्रति यह निरंतर समर्पण उन्हें बुरे और बुरे दोनों समय में पालने में मदद करता है। मुश्किल समय उन्हें समाधान खोजने और सही समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करता है।
6. सहारा
स्वस्थ परिवार एक दूसरे के लिए मोटे और पतले होते हैं। जब स्थिति अप्रिय हो जाती है तो वे एक दूसरे को देने से इनकार कर देते हैं। उनकी एसोसिएशन बदलती परिस्थितियों के अधीन नहीं हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता, वे एक साथ रहते हैं और हर परिवार के सदस्य को आश्वस्त करने का समर्थन करते हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
7. स्वीकृति
सफल परिवारों में एक-दूसरे के लिए परस्पर सम्मान होता है। वे एक दूसरे के अद्वितीय गुणों को समझते हैं और एक दूसरे की खामियों को स्वीकार करते हैं। वे निर्णय या नकारात्मक टिप्पणी पारित करने से बचते हैं। इस तरह का रवैया परिवार के सदस्यों को आत्मविश्वास और आत्म-मूल्य के साथ एक दूसरे को प्रभावित करने वाले सकारात्मक तरीके से आचरण करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
8. सीमा
अच्छे परिवारों के सदस्य स्वस्थ सीमाएँ बनाते हैं और एक-दूसरे के व्यक्तिगत स्थान पर घुसपैठ करने से बचते हैं। वे सीमाओं का सम्मान करते हैं जो हर व्यक्ति को बेहतर सुरक्षा और निकटता का आनंद लेने में मदद कर सकते हैं।
9. आध्यात्मिक भक्ति
परिवार तब मजबूत होते हैं जब सदस्य ईश्वर के साथ अपने साझा जुड़ाव के कारण एक साथ जुड़ जाते हैं। परमेश्वर के वचन के लिए एक साझा प्रतिबद्धता जीवन में अर्थ और उद्देश्य की भावना वाले परिवारों को प्रदान कर सकती है जो उन्हें एक साथ रहने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। वे जीवन के संघर्षों और चुनौतियों के सही परिप्रेक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह उन्हें जीने के लिए दिशा-निर्देश दे सकता है जो एक सकारात्मक घराने को बनाने में योगदान दे सकता है।
कैसे बनाएं स्वस्थ और मजबूत परिवार के रिश्ते
स्वस्थ और मजबूत पारिवारिक संबंधों के निर्माण के कुछ उपयोगी तरीके शामिल हैं:
1. रिश्तों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें
टेलीविजन या फोन जैसे विचलित हुए बिना परिवार के लिए कुछ गुणवत्ता समय निर्धारित करने से यह संदेश देने में मदद मिल सकती है कि परिवार महत्वपूर्ण है और हर चीज के लिए पूर्वता लेता है। एक साथ साधारण चीजें करना जैसे भोजन करना, खाना पकाना, खेल खेलना, गाना गाना, और कहानियाँ पढ़ना परिवार के सदस्यों के बीच एक गहरा बंधन विकसित कर सकता है। आप बच्चों को मज़ेदार पारिवारिक गतिविधियों के साथ आने का तरीका बता सकते हैं ताकि वे उन्हें विशेष महसूस करा सकें।
2. लिटिल मोमेंट्स मनाएं
अधिकांश परिवार इसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर, जन्मदिन और वर्षगांठ मनाने के लिए एक बिंदु बनाते हैं। लेकिन कोशिश करें और दिन-प्रतिदिन की चीजों से खुशहाल घटनाओं को बनाएं जैसे कि भाई-बहनों को खिलौने बांटना और एक साथ खेलना, पुण्य व्यवहार, दिनचर्या का पालन करने वाले बच्चे, विनम्रता से बोलना, अच्छे शिष्टाचार का प्रदर्शन। परिवार के साथ अच्छा समय बिताने के अवसरों को जब्त करें ताकि आप खुशहाल यादों का एक बैंक बना सकें।
3. शावर स्नेह
प्रेम और स्नेह का शारीरिक प्रदर्शन आवश्यक है। गले लगाने और चुंबन देने में उदार बनें। यहां तक कि एक उच्च-पांच, एक उत्साहजनक पलक, पीठ पर थपथपाने जैसे थोड़े से इशारे, एक अंगूठे को दिखाते हुए पुष्टि करते हैं कि आप देखभाल करते हैं जो रिश्तों में वृद्धि और विश्वास को बढ़ाने में मदद कर सकता है। 'आई लव यू' कहो जितनी बार आप विशेष रूप से परेशान उदाहरणों में कर सकते हैं। यह न केवल सदस्यों को विशेष महसूस करा सकता है बल्कि गर्म और देखभाल करने वाले घरेलू वातावरण को ढालने में भी मदद कर सकता है।
4. प्रभावी ढंग से संवाद करें
ध्वनि संचार का तात्पर्य है कि परिवार के मामलों में परिवार के प्रत्येक सदस्य का कहना है। प्रभावी संचार सदस्यों को समर्थित और समझने में मदद कर सकता है। खुलकर बात करना और सहानुभूतिपूर्वक सुनना अटूट भावनात्मक संबंध बनाने में सहायता कर सकता है। सम्मान के साथ बोलना, टोन को दिमाग देना और जानकारी साझा करते समय विचारशील होना सकारात्मक संचार का आधार बन सकता है।
5. भावनाओं को स्वीकार करें
भावनाओं की पहचान करने के लिए भाव, शरीर की भाषा जैसे सूक्ष्म संकेतों पर ध्यान देना उपयोगी है, क्योंकि वे उपयुक्त और दयालु प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा दे सकते हैं। हर सदस्य की भावनाओं के बारे में विचारशील होने और उनके व्यवहार में ट्यून करने से रिश्तों की देखभाल की जा सकती है। उन्हें अपनी आवश्यकताओं और हताशा को व्यक्त करने के लिए अनुमति देना, और भावना के साथ सुनना चिकित्सा और उपचार के रूप में काम कर सकता है। यह समस्याओं के लिए सहकारी समाधानों के साथ आने में भी अच्छा काम कर सकता है।
6. मॉडल व्यवहार
माता-पिता को अपने कार्यों और व्यवहार द्वारा उदाहरणों को सेट करने और सामंजस्यपूर्ण पारिवारिक संबंधों के महत्व को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। बच्चे अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं। माता-पिता जिस तरह से संवाद करते हैं, संकट को संभालते हैं, संघर्ष और हितों के टकराव से निपटते हैं, वह परिवार में धार्मिक आचरण के लिए मानदंड निर्धारित कर सकता है। इसलिए, माता-पिता को अपने तरीके के प्रति सचेत रहना चाहिए और स्वस्थ पारिवारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए देखभाल प्रतिक्रियाओं को काम पर केंद्रित करना चाहिए।
7. एक टीम के रूप में काम करें
परिवारों को हर व्यक्ति की चिंताओं पर चर्चा करनी चाहिए और समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। आउटिंग या मौज-मस्ती की गतिविधियों की योजना बनाते समय भी पारिवारिक चर्चाओं का तरीका होना चाहिए। चीजों पर चर्चा करने से रचनात्मक समाधान के साथ एक परिवार को उभरने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, परिवार की चर्चा का उपयोग हर किसी की भूमिका और जिम्मेदारी निर्धारित करने और हर सदस्य के विचारों का सम्मान करके विश्वास का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है। एक टीम के रूप में सामूहिक रूप से काम करना अपनेपन और महत्व की भावना पैदा करता है, जिससे परिवार के बंधन मजबूत होते हैं।
8. बिना शर्त समर्थन का विस्तार
सभी परिवार के सदस्यों के समर्थक होने के नाते एकजुटता को मजबूत कर सकते हैं। जब कोई परिवार देखभाल करने के दृष्टिकोण को अपनाता है और एक-दूसरे के साथ दोष निकालने और दोष खोजने की प्रवृत्ति से बचता है, तो वह अत्यधिक लाभ प्राप्त करने के लिए खड़ा हो सकता है। विभिन्न सदस्यों में अलग-अलग आवश्यकताएं हो सकती हैं जो तनाव और संघर्ष का कारण बन सकती हैं। लेकिन ऐसे समय में, उन्हें आराम और प्यार प्रदान करना, नियमित रूप से जाँच करना, उनकी चिंताओं को साझा करना, जो भी संभव हो सके सहयोग प्रदान करना रिश्तों को मजबूत करने में फायदेमंद साबित हो सकता है।
पारिवारिक रिश्ते प्रतिबद्ध और उद्देश्यपूर्ण निवेश के माध्यम से पुरस्कृत हो सकते हैं। एक स्वस्थ परिवार एक उत्पादक संबंध है जो हमारे अस्तित्व और सफलता के लिए आवश्यक है।
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रिश्तों का महत्व
लाइव हिन्दुस्तान टीम
Wed, 05 Jan 2011 09:07 PM
आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोगों के पास समय कम है। इसके कारण रिश्तों की गर्मजोशी भी कम होती जा रही है। लोग आजकल अपने आपमें इतने मशगूल रहते हैं कि उन्हें आसपास अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों तक का एहसास नहीं रहता। ऐसे में आपसी रिश्तों में फिर से मजबूती के लिए हम आपको कुछ टिप्स बताते हैं:
एक-दूसरे को समझें रिश्तों में गर्माहट लाने के लिए जरूरी है कि एक-दूसरे की जरूरतों को समझा जाए। कभी-कभी कुछ कारणों से दोनों में से किसी एक को लगने लगता है कि दूसरा उसे नजरअंदाज कर रहा है। जरूरी है कि ऐसी भावनाओं को पनपने न दें। अगर अपने साथी की इच्छाओं की कद्र करेंगे, तो आपके रिश्ते की डोर और मजबूत होगी।
विश्वास मजबूत करें किसी भी रिश्ते को विश्वास मजबूत आधार देता है। अगर आपकी अपने साथी से बेहतर बन नहीं रही, तो कहीं न कहीं इसके पीछे विश्वास का कम होना भी है। अपने पार्टनर के प्रति विश्वास पक्का करें। कभी-कभी लगता है कि साथी के स्वभाव में बदलाव हो रहा है, लेकिन यह महज परिस्थितवश भी हो सकता है।
बाधा न बनें हर आदमी के स्वभाव में भिन्नता होती है। उसकी यह भिन्नता उसे दूसरों से अलग पहचान प्रदान करती है। ऐसे में कभी-कभी कुछ चीजों के नजरिए को लेकर आपस में विरोधाभास की स्थिति बन जाती है। अपने साथी के ऐसे विशिष्ट गुण को पहचानने की कोशिश करें।
समय व्यतीत करें अपने बिजी शेडय़ूल से कम से कम दिन में एक बार कुछ लम्हे साथ बिताएं। बातें शेयर करें। एक-दूसरे की तकलीफों के भागीदार बनें। उस दिन सारी उलझनों और दिक्कतों को एक तरफ रख दें। महीने में कम से कम एक बार आउटिंग या पिकनिक पर जाएं।
जिम्मेदारी समझें अकसर हम व्यस्तता के कारण पारिवारिक जिंदगी को प्राथमिकता देना बंद कर देते हैं जो कलह पैदा करती है। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों पर बराबर ध्यान दें। अपने बच्चों की पढ़ाई व घर की जरूरतों पर निगाह रखें।
सामाजिक संरचना में रिश्तों का महत्व
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सामाजिक संरचना में रिश्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रेम के महीन रेशों से बुने ये रिश्ते अत्यंत नाजुक होते हैं। भाई-बहन, दोस्त, पति-पत्नी, चाचा, मामा इत्यादि रिश्तों का रूप चाहे जो भी हो, ये सभी विश्वास, आदर, ईमानदारी एवं समर्पण की माँग करते हैं। रिश्तों की इस बेल को स्नेह, त्याग एवं विश्वास के जल से सींचना अनिवार्य है, नहीं तो यह असमय ही मुरझा जाती है।
कई बार वर्षों के प्रेम संबंध छोटी-छोटी बातों, गलतफहमियों या अफवाहों के कारण टूट जाते हैं। बहुत ही सोच-समझकर, सही-गलत का परीक्षण कर संबंध तोड़ना चाहिए क्योंकि एक बार संबंध खराब हो गए तो फिर वह मिठास वापस नहीं आती। रहीम कवि ने इसी बात पर कहा है- 'रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुरै, जुरै गाँठ पड़ जाए।'
प्रेम के तारों में गुँथे रिश्तों को बहुत ही सहेजकर रखना चाहिए, उतावलापन इन संबंधों के लिए घातक है। कुछ बिंदुओं पर गौर करें।
सामाजिक संरचना में रिश्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रेम के महीन रेशों से बुने ये रिश्ते अत्यंत नाजुक होते हैं। भाई-बहन, दोस्त, पति-पत्नी, चाचा, मामा इत्यादि रिश्तों का रूप चाहे जो भी हो, ये सभी विश्वास, आदर, ईमानदारी एवं समर्पण की माँग करते हैं।
व्यवहार में रखें मर्यादा विनीत और नीलेश बहुत अच्छे दोस्त थे। बातों ही बातों में एक बार विनीत ने नीलेश के परिवार के संबंध में अमर्यादित टिप्पणी कर दी, जिससे वह आहत हो गया और उसने विनीत से मिलना, बात करना बंद कर दिया। मजाक में भी किसी की भावना आहत न हो, इसका हमें ख्याल रखना चाहिए।